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Himalayan Mahakumbh’ 280 kilometres spiritual journey "Shri Nanda Devi Raj Jat Yatra" Begins Amidst Proper Rituals

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The 20 day Yatra will end on September 6, 2014          Video  -https://www.facebook.com/photo.php?v=10152644523604819&set=vb.144385889818&type=2&theater                                                                           Uttarakhand’s historic “Shri Nanda Devi Raj Jat Yatra”  also known as the moving Himalayan Mahakumbh  began on August 18 th , 2014 amidst all proper rituals from Nauti village (20 km of Karnaprayag Tehsil of Chamoli district).  Shri Nanda Devi Raj Jat Yatra, which stretches for 3 long weeks, is a globally renowned pilgrimage of Uttarakhand that takes place after every 12 or more years. Apart from the pilgrims of Garhwal & Kumaon regions of Uttarakhand and the rest of the country, tourists from around the globe participate in the sacred Yatra and stands witness to the culture, beauty and faith of the Himalayan state. This spiritual Yatra is an arduous journey (a trek) of around 280 kilometres, and the three weeks of Yatr

10 अगस्त को दोपहर 1: 38 मिनट तक भद्राकाल! रक्षाबंधन के लिए दोपहर के बाद रक्षासूत्र बांधने के लिए शुभ समय है।

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त्योहार हमारी संस्कृति की पहचान है! और  रिश्ते हमारी पहचान हैं। जीवन की परिभाषा हम यहीं से सीखते हैं।  भारतीय संस्कृति में त्योहार कुछ यूं रचा बसा है कि उसे एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। इसमें रस्म,रिवाज और रिश्ते एक दूसरे में कुछ यूं गूंथे हैं कि एक के बिना दूसरे की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अगर रिश्तों की भावनाओं को समझना है तो हमें अपने देश के अलग-अलग पर्व त्योहारों को समझना होगा। इन्हीं में से एक है रक्षाबंधन । जो  रिश्ता होता है भाई-बहन का। प्यार की डोर से बंधा ये मासूम रिश्ता जितना मजबूत होता है,उतना ही गहरा भी।   यह एक ऐसा रिश्ता है कि एक साथ इसमें आपको कई रिश्ते का अहसास होगा। एक बहन कभी आपकी दोस्त होती है,तो जरूरत पड़ने पर मां भी बन जाती है,कभी-कभी तो पिता की भूमिका भी अदा करती है। हर अच्छे-बुरे वक्त में वह आपके साथ खड़ी होती है। कई बार यही भूमिका एक भाई भी अपनी बहन की जिंदगी में अदा करता है।  वक्त और हालात के साथ इसके व्यवहार में जरूर बदलाव होता रहा है कि लेकिन इसकी परिभाषा नहीं बदली। अब भी इसकी मासूमियत कायम है।  हर भारतवासी को इस त्योहार पर गर्व है।  हिंदू धर